मुज़्दा ऐ यास कि याँ कुंज-ए-क़फ़स के क़ैदी By Sher << न आया शाम भी घर फिर के अप... मुवाफ़क़त हो जो ताले की उ... >> मुज़्दा ऐ यास कि याँ कुंज-ए-क़फ़स के क़ैदी यक-ब-यक मौसम-ए-परवाज़ में मर जाते हैं Share on: