मुझ दिल में है जो बुत की परस्तिश की आरज़ू By Sher << उड़ जाऊँगा बहार में मानिं... हम ज़ब्त की तारीख़ के हैं... >> मुझ दिल में है जो बुत की परस्तिश की आरज़ू देखी नहीं वो आज तलक बरहमन के बीच Share on: