मुझ को अपने साथ ही तेरे सुलाने की हवस By Sher << उस का मिलना कोई मज़ाक़ है... मेरी आँख के तारे अब न देख... >> मुझ को अपने साथ ही तेरे सुलाने की हवस इस तरह है बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता के जगाने की हवस Share on: