मुझ को बिखराया गया और समेटा भी गया By Sher << फिर यूँ हुआ थकन का नशा और... मेरे होंटों पे ख़ामुशी है... >> मुझ को बिखराया गया और समेटा भी गया जाने अब क्या मिरी मिट्टी से ख़ुदा चाहता है Share on: