मुझ को थी महफ़िलों की बहुत आरज़ू मगर By Sher << सिवाए मेरे किसी को जलने क... जो राह अहल-ए-ख़िरद के लिए... >> मुझ को थी महफ़िलों की बहुत आरज़ू मगर तन्हाइयों के ख़ौफ़ से तन्हा रहा हूँ मैं Share on: