मुझ को तो ईद में भी फ़राग़त कहाँ मिली By Sher << किस से करूँ मैं अपनी तबाह... कैसे सुकून पाऊँ तुझे देखन... >> मुझ को तो ईद में भी फ़राग़त कहाँ मिली लड़ती रही है सास सवेरे से शाम तक Share on: