मुझ को ये दर-ब-दरी तू ने ही बख़्शी है मगर By Sher << मोहब्बत बद-गुमाँ हो जाए त... बाद-ए-फ़ना भी है मरज़-ए-इ... >> मुझ को ये दर-ब-दरी तू ने ही बख़्शी है मगर जब चली घर से तो मैं नाम तिरा ले के चली Share on: