मुझ में है यही ऐब कि औरों की तरह मैं By Sher << इतना मानूस हूँ सन्नाटे से दीवारों से मिल कर रोना अच... >> मुझ में है यही ऐब कि औरों की तरह मैं चेहरे पे कभी दूसरा चेहरा नहीं रखता Share on: