मुझ में थे जितने ऐब वो मेरे क़लम ने लिख दिए By Sher << न जाने किस लिए रोता हूँ ह... जो मेरे पास था सब लूट ले ... >> मुझ में थे जितने ऐब वो मेरे क़लम ने लिख दिए मुझ में था जितना हुस्न वो मेरे हुनर में गुम हुआ Share on: