मुझ पे हो जाए तिरी चश्म-ए-करम गर पल भर By Sher << सौत क्या शय है ख़ामुशी क्... इतनी पी जाए कि मिट जाए मै... >> मुझ पे हो जाए तिरी चश्म-ए-करम गर पल भर फिर मैं ये दोनों जहाँ ''बात ज़रा सी'' लिक्खूँ Share on: