मुझ से जो मेरी ज़ोहरा मिलती नहीं है अब तक By Sher << मुल्हिद हूँ अगर मैं तो भल... मुझ को ये सोच है जीते हैं... >> मुझ से जो मेरी ज़ोहरा मिलती नहीं है अब तक ऐ पीर-ए-चर्ख़ सब ये बद-ज़ातियाँ हैं तेरी Share on: