मुझ से ये प्यास का सहरा नहीं देखा जाता By Sher << तू हँसी ले के मिरी आँख को... मक़ाम-ए-ज़ब्त ग़म-ए-इश्क़... >> मुझ से ये प्यास का सहरा नहीं देखा जाता रोज़ अब ख़्वाब में दरिया नहीं देखा जाता Share on: