मुझे अब आ गए हैं नफ़रतों के बीज बोने By Sher << महँगाई में हर इक शय के दा... जिस रस्ते में तुम मिल जाओ >> मुझे अब आ गए हैं नफ़रतों के बीज बोने सो मेरा हक़ ये बनता है कि सरदारी करूँगा Share on: