मुख़्तलिफ़ अपनी कहानी है ज़माने भर से By Sher << वक़्त का ये मोड़ कैसा है ... ख़ुद-फ़रोशी को जो तू निकल... >> मुख़्तलिफ़ अपनी कहानी है ज़माने भर से मुनफ़रिद हम ग़म-ए-हालात लिए फिरते हैं Share on: