मुंडेरों पर छिड़क दे अपने कुश्तों का लहू ऐ गुल By Sher << उस ने हँस कर हाथ छुड़ाया ... मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेश... >> मुंडेरों पर छिड़क दे अपने कुश्तों का लहू ऐ गुल उगेगा सब्ज़ा-ए-शमसीर दीवार-ए-गुलिस्ताँ पर Share on: