बिस्मिलों से बोसा-ए-लब का जो वा'दा हो गया By Sher << रफ़्तार-ए-रोज़-ओ-शब से कह... दूर के चाँद को ढूँडो न कि... >> बिस्मिलों से बोसा-ए-लब का जो वा'दा हो गया ख़ुद-ब-ख़ुद हर ज़ख़्म का अंगूर मीठा हो गया Share on: