मुसाफ़िराना रहा इस सरा-ए-हस्ती में By Sher << कुछ बता तू ही नशेमन का पत... ज़रा से रिज़्क़ में बरकत ... >> मुसाफ़िराना रहा इस सरा-ए-हस्ती में चला फिरा मैं ज़माने में रहगुज़र की तरह Share on: