ऐ 'मुसहफ़ी' उस्ताद-ए-फ़न-ए-रेख़्ता-गोई By Sher << तू ने देखा नहीं इक शख़्स ... लहू में डूबी है तारीख़-ए-... >> ऐ 'मुसहफ़ी' उस्ताद-ए-फ़न-ए-रेख़्ता-गोई तुझ सा कोई आलम को मैं छाना नहीं मिलता Share on: