'मुसहफ़ी' तू ने ज़ि-बस गुल के लिए हैं बोसे By Sher << मुवाफ़क़त हो जो ताले की उ... 'मुसहफ़ी' शिर्क भ... >> 'मुसहफ़ी' तू ने ज़ि-बस गुल के लिए हैं बोसे रश्क से देखे है बुलबुल दहन-ए-सुर्ख़ तिरा Share on: