मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं By Sher << का'बे से मुझ को लाई स... काग़ज़ में दब के मर गए की... >> मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन ज़ंजीरें हैं Share on: