न अब वो यादों का चढ़ता दरिया न फ़ुर्सतों की उदास बरखा By Sher << न मिला कर उदास लोगों से मुझे ये डर है तिरी आरज़ू ... >> न अब वो यादों का चढ़ता दरिया न फ़ुर्सतों की उदास बरखा यूँही ज़रा सी कसक है दिल में जो ज़ख़्म गहरा था भर गया वो Share on: