न बुज़ला-संज न शाएर न शोख़-तब्अ रक़ीब By Sher << मिलने की ये कौन घड़ी थी हम जुदा हो गए आग़ाज़-ए-सफ... >> न बज़ला-संज न शाएर न शोख़-तब्अ रक़ीब दिया है आप ने ख़ल्वत में अपनी बार किसे Share on: