न जाने लोग ठहरते हैं वक़्त-ए-शाम कहाँ By Sher << निकल कर आ गए हैं जंगलों म... मिरी गली के मकीं ये मिरे ... >> न जाने लोग ठहरते हैं वक़्त-ए-शाम कहाँ हमें तो घर में भी रुकने का हौसला न हुआ Share on: