न की ग़म्ज़ा ने जल्लादी न उन आँखों ने सफ़्फ़ाकी By Sher << तअल्लुक़ तुम से जो भी है ... उस के करम का एक सहारा जो ... >> न की ग़म्ज़ा ने जल्लादी न उन आँखों ने सफ़्फ़ाकी जिसे कहते हैं दिल अपना वही क़ातिल हुआ जाँ का Share on: