न कीजे वो कि मियाँ जिस से दिल कोई हो मलूल By Sher << उन्हें ख़ुदा का अमल शर्मस... रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आग... >> न कीजे वो कि मियाँ जिस से दिल कोई हो मलूल सिवाए इस के जो जी चाहे सो किया कीजे Share on: