न लगी मुझ को जब उस शोख़-ए-तरहदार की गेंद By Sher << ऐ सुब्ह की किरन मुझे प्या... जो कहता है वो करता है बर-... >> न लगी मुझ को जब उस शोख़-ए-तरहदार की गेंद उस ने महरम को सँभाल और ही तय्यार की गेंद Share on: