न मिरे ज़ख़्म खिले हैं न तिरा रंग-ए-हिना By Sher << 'ग़ालिब' तिरा अहव... ख़ुदा की देन का मूसा से प... >> न मिरे ज़ख़्म खिले हैं न तिरा रंग-ए-हिना मौसम आए ही नहीं अब के गुलाबों वाले Share on: