न पाया गाह क़ाबू आह मैं ने हाथ जब डाला By Sher << तसव्वुर ने तिरे आबाद जब स... शहर में जैसे कोई आसेब है >> न पाया गाह क़ाबू आह मैं ने हाथ जब डाला निकाला बैर मुझ से जब तिरे पिस्ताँ का मुँह काला Share on: