न रक्खा जग में रस्म-ए-दोस्ती अंदोह-रोज़ी ने By Sher << हो गया मौक़ूफ़ ये 'सौ... क़ातिल को रौशनी में दिखाई... >> न रक्खा जग में रस्म-ए-दोस्ती अंदोह-रोज़ी ने मगर ज़ानू से अब बाक़ी रहा है रब्त-ए-पेशानी Share on: