न सही जिस्म मगर ख़ाक तो उड़ती फिरती By Sher << ख़ुदा को जिस से पहुँचें ह... सोचता हूँ कि उस की याद आख... >> न सही जिस्म मगर ख़ाक तो उड़ती फिरती काश जलते न कभी बाल-ओ-पर-ए-परवाना Share on: