न तिरे सिवा कोई लिख सके न मिरे सिवा कोई पढ़ सके By Sher << गुल के होने की तवक़्क़ो प... दिल लिया ताब-ओ-तवाँ ले चु... >> न तिरे सिवा कोई लिख सके न मिरे सिवा कोई पढ़ सके ये हुरूफ़-ए-बे-वरक़-ओ-सबक़ हमें क्या ज़बान सिखा गए Share on: