नहीं मिलती उन्हें मंज़िल जिन्हें ख़ौफ़-ए-हवादिस है By Sher << तिरे सितम की ज़माना दुहाई... होना पड़ा है ख़ूगर-ए-ग़म ... >> नहीं मिलती उन्हें मंज़िल जिन्हें ख़ौफ़-ए-हवादिस है जो मौजों से नहीं डरते नदी को पार करते हैं Share on: