नहीं शिकायत-ए-हिज्राँ कि इस वसीले से By Sher << फिर नज़र में फूल महके दिल... नहीं निगाह में मंज़िल तो ... >> नहीं शिकायत-ए-हिज्राँ कि इस वसीले से हम उन से रिश्ता-ए-दिल उस्तुवार करते रहे Share on: