नहीं तिल धरने की जागह जो ब-अफ़्ज़ूनी-ए-हुस्न By Sher << लिक्खे थे सफ़र पाँव में क... मिरे होने ने मुझ को मार ड... >> नहीं तिल धरने की जागह जो ब-अफ़्ज़ूनी-ए-हुस्न देखा शब उस को तो इक ख़ाल ब-रुख़्सार न था Share on: