नहीं वो अगली सी रौनक़ दयार-ए-हस्ती की By Sher << छेड़ता क्यूँ है ख़ुदा के ... रखें क्यूँकर हिसाब एक एक ... >> नहीं वो अगली सी रौनक़ दयार-ए-हस्ती की तबाह-कुन कोई तूफ़ान था शबाब न था Share on: