नई तहक़ीक़ ने क़तरों से निकाले दरिया By Sher << किसी के जाल में आ कर मैं ... न वो रिंदान-ए-ख़ुश-औक़ात ... >> नई तहक़ीक़ ने क़तरों से निकाले दरिया हम ने देखा है कि ज़र्रों से ज़माने निकले Share on: