नज़्ज़ारा-ए-जमाल की फ़ुर्सत कहाँ मिली By Sher << हँस के मिलता है मगर काफ़ी... ख़ुद को मैं भला ज़ेर-ए-ज़... >> नज़्ज़ारा-ए-जमाल की फ़ुर्सत कहाँ मिली पहली नज़र नज़र की हदों से गुज़र गई Share on: