नज़र आती है सारी काएनात-ए-मै-कदा रौशन By Sher << था ए'तिमाद-ए-हुस्न से... जितना रोना था रो चुके आदम >> नज़र आती है सारी काएनात-ए-मै-कदा रौशन ये किस के साग़र-ए-रंगीं से फूटी है किरन साक़ी Share on: