नज़र कहीं नहीं अब आते हज़रत-ए-नासेह By Sher << ज़र्रे की तरह ख़ाक में पा... एक तीर-ए-नज़र इधर मारो >> नज़र कहीं नहीं अब आते हज़रत-ए-नासेह सुना है घर में किसी मह-लक़ा के बैठ गए Share on: