नाज़ुक है मेरा शीशा-ए-दिल इस क़दर कि बस By Sher << ने हाथ मिरा हाथ है ने जेब... नाज़ुक है दिल-ए-यार बहुत ... >> नाज़ुक है मेरा शीशा-ए-दिल इस क़दर कि बस मिस्ल-ए-हबाब फूट गया गर हवा लगी Share on: