नख़्ल-ए-हिरमाँ को न थी बालीदगी By Sher << नमली और न दूदी है न मंशार... नफ़ी ओ इसबात का हंगामा रह... >> नख़्ल-ए-हिरमाँ को न थी बालीदगी गरचे कितनी उस पे बरसातें हुईं Share on: