नासेहों के हाथ से छोड़ेंगे रहना शहर का By Sher << नौजवानी की दीद कर लीजे नाक़े से दूर रह गया आख़िर... >> नासेहों के हाथ से छोड़ेंगे रहना शहर का देखते हैं और दिन दो-चार अब बनती नहीं Share on: