नश्शा-ए-हुस्न में सरशार चला जाता है By Sher << नश्शे में जी चाहता है बोस... नहीं कुछ अब्र ही शागिर्द ... >> नश्शा-ए-हुस्न में सरशार चला जाता है शब-ए-तारीक है दिलदार ख़ुदा को सौंपा Share on: