जिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर' By Sher << जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए... इस शहर-ए-बे-चराग़ में जाए... >> जिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर' वो लोग आँखों से ओझल हो गए हैं Share on: