नए कपड़े बदल और बाल बना तिरे चाहने वाले और भी हैं By Sher << इस क़दर था खटमलों का चारप... दिल है क़दमों पर किसी के ... >> नए कपड़े बदल और बाल बना तिरे चाहने वाले और भी हैं कोई छोड़ गया ये शहर तो क्या तिरे चाहने वाले और भी हैं Share on: