ग़रज़ न सर की ख़बर थी न पा का होश 'नज़ीर' By Sher << याद और याद को भुलाने में मौसम-ए-गुल हमें जब याद आय... >> ग़रज़ न सर की ख़बर थी न पा का होश 'नज़ीर' सिरहाना पाएंती और पाएंती सिरहाना था Share on: