निगाहों के मनाज़िर बे-सबब धुंधले नहीं पड़ते By Sher << बात दिल की ज़बान पर आई एक आलम को देखता हूँ मैं >> निगाहों के मनाज़िर बे-सबब धुंधले नहीं पड़ते हमारी आँख में दरिया कोई ठहरा हुआ होगा Share on: