निहाल-ए-दर्द ये दिन तुझ पे क्यूँ उतरता नहीं By Sher << मिरे वास्ते जाने क्या लाए... कहना मजनूँ से कि कल तेरी ... >> निहाल-ए-दर्द ये दिन तुझ पे क्यूँ उतरता नहीं ये नील-कंठ कहीं तुझ से बद-गुमाँ ही न हो Share on: