देना वो उस का साग़र-ए-मय याद है 'निज़ाम' By Sher << मुझे ये सारे मसीहा अज़ीज़... कोई भी घर में समझता न था ... >> देना वो उस का साग़र-ए-मय याद है 'निज़ाम' मुँह फेर कर इधर को उधर को बढ़ा के हाथ Share on: