ओ अतारिद ज़ुहल-ए-नहिस से टुक माँग मिदाद By Sher << यार भी राह की दीवार समझते... हम ज़ईफ़ों को कहाँ आमद ओ ... >> ओ अतारिद ज़ुहल-ए-नहिस से टुक माँग मिदाद बख़्त का माजरा लिखता हूँ सियाही देना Share on: